असलहा बाबू के सवाल पर चुप क्यों है प्रशासन

 


रवि पांडेय ने खोला मुँह, निकला असलहा बाबू का नाम


फैयाज अहमद


गोरखपुर। फर्जी शस्त्र लाइसेंस के मामले में चल रहे खेल का मुख्य मास्टरमाइंड कही असलहा बाबू तो नही। ऐसे संकेत रवि पांडेय के मुँह खोलने के बाद मिल रहा है। रवि पांडेय ने दुकान खुलने के साथ ही गुरुवार को अपना मुँह खोलते हुए कहा कि इस सब के लिए असलहा बाबू ही जिम्मेदार है।
 गुरुवार को एडीएम सिटी राकेश श्रीवास्तव ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रथमेश कुमार ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिनव सिंह तहसीलदार सदर डॉक्टर संजीव दिक्षित के साथ एसआईटी प्रभारी सहायक पुलिस अधीक्षक  रोहन प्रमोद बोत्रे और कैंट थाना प्रभारी रवि राय दल बल के साथ सुबह रवि गन हाउस की दुकान का ताला खुलवाने पहुंचे । दुकान का ताला खोलकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने रिकार्ड को खंगाला। और कुछ कागजात व सामानों को  लेकर चले गए और दुकान को सील कर दिया गया।
दुकान का ताला खुलते ही रवि पांडे ने भी इस फर्जी लाइसेंस के खेल में असलहा बाबू राम सिंह को ही जिम्मेदार बताया। उसने कहा कि मैं तो शस्त्र बेचने का काम करता हूं लेकिन लाइसेंस प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जारी होता है और इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड असलहा बाबू रामसिंह है और उसके साथ प्रधान अमर कुलदीप और उनका कंप्यूटर ऑपरेटर अजय गिरी भी फर्जी लाइसेंस में शामिल है । जो कई वर्षों से इस कार्य को कर रहे हैं।


बात दे कि फर्जी वसीयत के नाम पर शस्त्र लाइसेंस जारी करने का खेल तो वर्षों से चला रहा है जिसमें शस्त्र लाइसेंस विभाग के कई बाबुओं ने अपना हाथ साफ किया। आज वही आदत बाबू पर भारी पड़ने लगी जब उन्होंने यूआईडी नंबर की टेंपरिंग कर फर्जी तौर पर शस्त्र लाइसेंस जारी करने लगे । जिसका खुलासा जिलाधिकारी के व्हाट्सएप नंबर पर भेजे गए लाइसेंस की जांच के बाद खुलासा हुआ । पुलिस ने एक आरोपी को 14 अगस्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
लेकिन जब इसकी गहराई से जांच की गई तो कई कड़ियां जुड़ने लगी और इस फर्जी शस्त्र लाइसेंस की खेल में बड़े-बड़े लोगों का नाम सामने आने लगा जैसे-जैसे नाम खुलता गया वैसे वैसे अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगे और इस बड़े नेटवर्क में अब तक 6 लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।


लेकिन सवाल उठता है कि फर्जी शस्त्र लाइसेंस जारी करने वाले बाबू की कब जांच होगी। इस पर अधिकारी क्यो मौन है। क्योंकि जिस शस्त्र लाइसेंस के आधार पर असलहा खरीदा गया। क्या उन लोगों को भी मालूम था कि उनका शस्त्र लाइसेंस फर्जी है। अगर ऐसा ही था तो लाइसेंस लेने के लिए कोई इतनी मोटी रकम देकर फर्जी लाइसेंस क्यों लेगा और उस पर असलहा क्यों खरीदेगा। अगर उसे असलहा ही रखना  है तो वह अवैध रूप से असलहा रखता उसे लाइसेंस लेने की क्या जरूरत। 
फिलहाल पुलिस  असलहा बाबू से क्यों नहीं पूछताछ कर रही है और प्रशासनिक अधिकारी उसके खिलाफ क्यों नहीं बोले रहे है। कई सवाल खड़े हो रहे हैं।