हम हैं लोकल

 

रंगों की जीवंत मुस्कान:शिवम

 

"पहचान बनाने की ज़िद हो

छा जाने की उम्मीद भी हो

उस्ताद वही है 'मनभावन'

जो एक बेहतर शागिर्द भी हो।"

 

प्रस्तुति-आनंद सिंह 'मनभावन'

 

रेलगाड़ी के सफर में व्यतीत होने वाले समय को शस्त्र बनाकर जीवन के चक्रव्यूह का भेदन करने की कला सीखने वाला कलाकार आज अपनी तूलिका,रचनात्मकता और अनूठे प्रयोगों के आश्चर्यचकित करने वाले परिणामो से कल्पना,रंग,और कला की दुनिया का एक बेहद विश्वसनीय नाम बन चुका है।अपनी कलात्मकता, काल्पनिकता को रंगोली और पोट्रेट के माध्यम से जीवंत कर देने वाला यह बालक अपने दम पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुआ है।

 

        "हम हैं लोकल" के साप्ताहिक अंक  में आज हम बात कर रहे हैं सिद्धार्थनगर जिले के एक कस्बे उसका बाजार के एक ऐसे प्रतिभावान बालक की जिसने पढ़ाई के दौरान उसका से गोरखपुर की रेलयात्रा में लगने वाले समय को अपनी कला साधना का 'कालखंड' बनाकर अपनी प्रतिभा को तराशना शुरू किया और आज सैकड़ों पुरस्कारों को अपने आलमारियों में सजाए देश विदेश में अपनी शोहरत का परचम लहरा रहा है।

 

शिवम गुप्ता, यह वो नाम है जिसने उसका बाजार से अपनी इंटर तक कि शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात उच्च शिक्षा और उच्च आकांक्षाओं के उद्देश्य की पूर्ति के लिए गोरखपुर का रुख किया।बहुत संभव और सर्वसुलभ संसाधन 'रेल' से उसका से गोरखपुर की शैक्षणिक यात्रा के दौरान लगने वाले समय को अपनी कला साधना के कालखंड के रूप में परिवर्तित करने का शिवम का आरम्भिक प्रयास कापियों पर आड़ी तिरछी रेखाओं के साथ बनना शुरू हुआ।कब वो रेखाएं जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए सीधी और दृढनिश्चय की परिचायक हो गईं  इसका यकीन  स्वयं शिवम को भी तब हुआ जब उसे उसके पोट्रेट के लिये अपनी ही नगर पंचायत में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा जी से प्रशंसा,और पुरस्कार प्राप्त हुआ।

       

अपनी इस उपलब्धि के बारे में बात करते हुए शिवम बताते हैं कि शिक्षा यात्रा के दौरान ही घर से निकलते वक्त एक दिन मैंने अपने नगर पंचायतके तत्वावधान में नगर के बड़े मैदान में टेंट ,कुर्सियां लगते हुए देखा।जिज्ञासावश पूछने पर पता चला कि एक दिन बाद यहां तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा जी का आगमन होने वाला है।रास्ते भर सिर्फ इसी बारे में सोचते हुए कब मैं विश्वविद्यालय आ गया इसकी खबर तक नहीं हुई।मगर यहाँ आते ही जैसे विचारों के प्रवाह को एक दिशा मिल चुकी थी।उस दिन पूरे मनोयोग से मैंने दिनभर की मेहनत के बाद मनोज सिन्हा जी का एक स्केच तैयार कर लिया था।शाम को लौटते वक्त मैंने अपने नगर पंचायत के अध्यक्ष जी को वो स्केच दिया,उन्होंने उस स्केच को वहां के तत्कालीन सांसद जगदंबिका पाल जी को दिखाया।शिवम बताते हैं कि सांसद महोदय ने कहा कि इस स्केच की फ्रेमिंग करा कर उस बच्चे को भी उस कार्यक्रम में आने को कहो। यह कहते हुए शिवम रोमांचित हो जाते हैं कि उस दिन पहली बार एक बड़े मंच पर उनको अपनी पहचान से अपने पिता को गौरवान्वित होने का अवसर मिलने  पर फ़क्र हुआ।मंत्री जी ने उसके बनाये हुए स्केच को बहुत पसंद किया और खूब तारीफ करते हुए सुखद भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

        तभी से अपनी कला को गंभीरता के साथ कैरियर बनाए जाने का विचार बना लिया मैंने। इसके बाद मुझको दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय के फाइन आर्ट्स विभाग में प्रवेश लेने के साथ ही तमाम प्रतियोगिताओं,और कार्यक्रमों में अपनी कला का परचम लहराने का अवसर मिला।

   अभी तक सैकड़ों पुरस्कार जीत चुके शिवम कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि गोरखपुर महोत्सव में मुख्य मंच के सामने बनाई गई रंगोली के उनके प्रयोगधर्मी मानवीय पक्ष के प्रस्तुति की विधा को सबसे ज्यादा प्रशंसा मिली।इसके अतिरिक्त देवरिया महोत्सव में सर्वोच्च प्रदर्शन,बनारस में राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में द्वितीय विजेता,पिकासो अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रतियोगिता में प्रथम कैटेगरी का पुरस्कार जीता है।लखनऊ में आयोजित मेधा आर्ट्स प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, के साथ ही तमाम पुरस्कार जीता है।स्केचिंग आर्ट और वास्तविकता पूर्ण रंगोली तथा प्रयोगधर्मिता में विशेष महारथ प्राप्त इस युवा ने टैलेंट ऑफ गोरखपुर नामक संस्था बनाकर खुद की अपनी काबिलियत साबित करने के साथ दूसरों के लिए भी अवसर उपलब्ध कराए हैं।

वी.के.सॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी में शिवम ग्राफिक डिजाइनर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। साथ ही फाइन आर्ट्स के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी के रूप में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में पंजीकृत हैं।अपने अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।स्केचिंग,पेंटिंग, रियलिस्टिक रंगोली में विशेष प्रतिभा सम्पन्न शिवम का एस.आर्ट्स नाम का एक यूट्यूब चैनल भी है जिस पर लगभग पांच हज़ार फॉलोवर हैं।

    घर और परिवार के बारे में बताते हुए शिवम कहते हैं कि गृहिणी माता और व्यापारी पिता प्रेमचंद गुप्ता जी की तीन संतानों में सबसे बड़ी संतान हैं शिवम।इसके पश्चात इनकी एक बहन और एक भाई है जो इनसे छोटे है।पिता जी की उसका बाजार में ही इलेक्ट्रॉनिक की दुकान है।शिवम की माता जी कुशल गृहणी हैं।शिवम पार्ट टाइम बिजनेस भी करते हैं।गोरखपुर स्थित शाही मार्किट में इनका इस आर्ट्स नाम से अपना बिज़नेस आफिस है जहाँ ये रंगोली,पेंटिंग,स्केच इत्यादि बनाने और बनवाने के लिए आर्डर लेते हैं तथा अपने और सहयोगियों के साथ इस व्यवसाय के साथ ही अपनी रचनात्मकता और कौशल को समृद्ध करते हुए आर्थिक रूप से भी अपने पैरों पर खड़ा होने तथा अपनी जड़ें जमने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

शिवम अपने परिवार के साथ ही अपनी सफलता का श्रेय वी.के.सॉफ्ट लिमिटेड प्राइवेट कंपनी के डाइरेक्टर विशाल वर्मा जी को देते हैं।शिवम की भविष्य की योजना कला,और प्रयोगधर्मी रंगकर्म,तथा स्केच और पेंटिंग में कुछ नया और रचनात्मक करते हुए नाम करने की है।

 

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