हम हैं लोकल:5
 

फैशनडिजाइनिंग की नई दिशा:दीपशिखा

 

 

आनंद सिंह 'मनभावन' 

 

गोरखपुर।

 

"हौसलों को पंख दें,और हुनर को परवाज़ दें

गांव की मिट्टी से शहरों को नया अंदाज़ दें

बहुमुखी प्रतिभा किसे कहते हैं मनभावन सुनो,

शिखा दीपक की अंधेरों को सदा आवाज़ दे।"

 

युवाओं का दौर है।नया भारत मल्टीटास्किंग के दौर में जी रहा है।शहरों और गांवों के बीच के फासले खत्म हो गए है।पूरा विश्व अब 'ग्लोबल विलेज' बन गया है।ऐसे में गांव अब शहरों के नखरे उठाने वाला गांव नही रहा।सूचना क्रांति के दौर ने गांवों को भी शहरों के मुकाबिल खड़ा कर दिया है।

   ऐसे में गाँव से निकली प्रतिभा जब शहरों के पहनावे को तय करती है तो ऐसा लगता है कि गांव ने भी अपने अंदाज बदल लिए हैं।पहले गांव- कस्बों और शहरों का फर्क साधन, संसाधन और सुविधाओं की उपलब्धता तय किया करते थे।लेकिन 'ग्लोबल विलेज' के इस दौर ने और सूचना एवम तकनीकी की सुलभता ने इस फर्क को समाप्त ही कर दिया है।अब तो गांव शहरों को अपनी मेधा की उंगलियों पर नचाता है।उनकी पसंद-नापसन्द तय करता है।उनके पहनावे ओढावे पर अपनी छाप छोड़ता है।

    "हम हैं लोकल" की इस कड़ी में हम बताने जा रहे है कि कैसे गांव ने शहर के वस्त्र विन्यास,परिधान,और पोशाकों के निर्धारण पर अपना नियंत्रण बनाया है।

    आज हम जिस बहुमुखी प्रतिभा की बात करने जा रहे है,उसने चौरी चौरा के ब्रम्हपुर ब्लॉक की मिट्टी की खुशबू को राजधानी तक विस्तीर्ण किया है।इस गांव की बहुमुखी प्रतिभा की धनी एक लाडली बिटिया अपनी मेहनत, हौसले,मेधा और विस्तृत सोच की वजह से गोरखपुर का नाम पूरे देश मे रोशन कर रही है।

           दीपशिखा पांडेय जो एक नामचीन फ़ैशन डिज़ाइनर है।चौरी चौरा के ब्रम्हपुर ब्लॉक की निवासिनी हैं।फिलहाल इनका परिवार गोरखपुर के बिछिया स्थित सर्वोदयनगर कालोनी के निजी मकान में रहता है।इनको लोग शिखा के नाम से ज्यादा जानते हैं।शिखा के पिता प्रदीप पांडेय एक समाजसेवी है और विश्व हिन्दू परिषद के सम्मानित कार्यकर्ता भी है।दीपशिखा की माता जी अध्यापिका है और गावं में ही अध्यापन का कार्य करती हैं। अपने माता पिता की तीन संतानों में सबसे बड़ी दीपशिखा एक बहुआयामी प्रतिभावान फ़ैशन डिजाइनर है।इनके दो छोटे भाई हैं।शिखा का एक भाई बहुत होनहार क्रिकेटर है।फिलहाल वो पुणे में अपने खेल जीवन के बेहतर भविष्य के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है।दूसरा छोटा भाई गोरखपुर में ही रहकर बी.कॉम की पढ़ाई करता है।

   माता पिता ने इस होनहार बिटिया की प्रतिभा से परिचित होकर इनकी पढ़ाई लिखाई और प्रोत्साहन हेतु बेहतर माहौल उपलब्ध करवाया।जिसका परिणाम ये हुआ कि इस मेधावी बिटिया ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से से स्नातक और दिग्विजयनाथ डिग्री कालेज से परास्नातक होने के साथ ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग से फैशन डिजाइनिंग में दो वर्षीय डिप्लोमा,टेक्सटाइल डिजाइनिंग में एक वर्षीय डिप्लोमा, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से फैशन एसेसरीज और क्राफ्ट डिजाइनिंग में डिग्री तथा 'मेधा' से तीस घंटे का कैरियर एडवांसमेंट कोर्स किया है।

दीपशिखा की सफलता की कहानी उनकी उपलब्धियां खुद ब खुद बयां करती हैं 2017 में  एमिटी यूनिवर्सिटी द्वारा "बेस्ट एसेसरीज " का अवार्ड उनके करियर का सर्वोच्च और अविस्मरणीय मुकाम है।इसके साथ ही तमाम क्षेत्रीय सेमिनारों में भागेदारी कर के अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली इस बेटी ने एमिटी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित "पॉवर ड्रेसिंग' विषय पर आधारित राष्ट्रीय सेमिनार में इस मिट्टी का प्रतिनिधित्व करके यहाँ का मान बढ़ाया है।

           देश की राजधानी में स्थित मेगान मल्टीपल डिज़ाइनर स्टूडियो सहित रचना डिजाइन स्टुडियो, क्रॉस कॉटन कम्पनी,और बिग बाजार जैसी संस्था में अपनी सेवाएं दे चुकी दीपशिखा अपने शिक्षण के दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेविका रही है।कॉलेज के दौरान तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्कृष्ठ प्रतिभागिता करते हुए विश्विविद्यालय की तरफ से युवा महोत्सव का भी प्रतिनिधित्व किया है।तत्कालीन नगर प्रमुख सत्या पांडेय जी से इन्हें बेस्ट वालंटियर का अवार्ड भी प्राप्त हो चुका है।


          इतनी सारी उपलब्धियों को समेटे दीपशिखा फिलहाल  देश की राजधानी में मेगान मल्टीपल डिजाइनर स्टूडियो में बतौर डिजाइनर अपनी सेवाएं दे रही है।

''राष्ट्र चिन्ह'' से बात करते हुए शिखा ने बताया कि मुझे अपना खुद का डिजाइनर हाउस खोल के अपने जिले और गांव की खुशबू पूरे देश मे बिखरानी है।उन्होंने कहा कि मैं स्थानीय प्रतिभाओं को अपने स्तर से प्रशिक्षित कर उनको पहचान दिलाने का प्रयास करूंगी।अपनी यादें साझा करते हुए दीपशिखा ने बताया कि गोरखपुर महोत्सव में प्रतिभाग करते समय मुझे यह भरोसा हो गया था कि अब स्थानीय प्रतिभाओं को किसी क्षेत्र में अपने कैरियर को बेहतर करने के लिए साधन,संसाधन,और सुविधाओं की तलाश में बड़े शहरों का मुँह देखने की जरूरत नही पड़ेगी।उन्होंने यहाँ की मेधा में बहुत संभावनाएं तलाशने और परखने का भरोसा जताया।

 

Popular posts