नहीं बताने के कारण ज्यादा  फ़ैल रहा कोरोना

 



प्रीति पाण्डेय


अभी हाल ही की एक खबर के मुताबिक मध्य प्रदेश के स्वास्थ विभाग की प्रमुख सचिव जैसे बड़े ओहदे पर कार्यरत पल्ल्वी जैन ने अपने बेटे की ट्रेवल हिस्ट्री को प्रशासन से छिपा कर रखा उनकी इस लापरवाही के कारण वे न केवल स्वयं कोरोना से पीड़ित हुई बल्कि उनके कारण लगभग 3 दर्जन लोग भी कोरोना की चपेट में आ गए। 
यही नहीं कनिका कपूर जो देश ही नहीं विदेश में भी अपनी एक खास पहचान रखती हैं उन्होंने भी अपनी ट्रेवल हिस्ट्री छिपा कर अपनी समझदारी का सबूत पेश किया है। यही नहीं विदेश से लौटने के बाद भी वे कई पार्टी का हिस्सा बनीं। 
कोरोना ने भारत में धीरे-धीरे पैर ज़माना शुरू कर दिए हैं। सरकार से लेकर प्रशासन सभी स्थिति को संभालने की जोरदार कोशिश में लगे हैं लेकिन कोरोना संक्रमित का आंकड़ा लगातार बढ़ता  जा रहा है। सबसे हैरान करने  वाली बात है कि लोग इस संक्रमण से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने आपको घरो में छिपा कर बैठे हैं। ऐसा करके वह न केवल अपने बल्कि अपने परिवार के लोगो की भी जान से खेल रहे हैं। 
कितने ही लोग ऐसे हैं जो हाल ही में विदेश से आए हैं बावजूद इसके वो अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपा रहे हैं आखिर क्यों? क्या जरुआत है छिपाने की? कोई बीमारी अगर इस कदर फ़ैल रही है तो हमें उससे लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए न की उससे छिप कर घर में बैठ जाना चाहिए। सभी इस बात को अच्छे से जानते हैं कि कोरोना विदेश से आया हुआ वायरस है जो विदेश से आ रहे लोगो भारत पहुँच गया ऐसे में जो लोग विदेश से आये हैं उनकी यह जिम्मेदारी बनती हैं कि वह स्वयं अपनी ट्रेवल हिस्ट्री प्रशासन के साथ साँझा करें ताकि समय रहते उन्हें न केवल मॉनिटर किया जा सके बल्कि जरूरत पड़ने पर तुरंत उपचार भी किया जा सके। बीमारी छिपाने से ठीक नहीं होती बल्कि वह बढ़ती है और यह बिमारी किस हद तक बढ़ती है इसका अंदाजा आप सभी को होगा। 
ताज्जुब उन लोगों की हरकत पर होता है जिन्हे सेल्फ कोरेन्टाइन का ठप्पा लगाकर एयरपोर्ट से भेजा गया और उन लोगों ने इस बात को भी गंभीरता से नहीं लिया। जो लोग विदेश से आए हैं वे वहां की स्थिति से वाकिफ थे ऐसे में उन्हें स्वयं ही हालत हालात को समझना चाहिए था। 
भारत में कोरोना को लेकर बिगड़ते हालात को देखते हुए सरकार ने 21 दिनों का लोकडाउन पीरियड रखा लेकिन लोगो ने उसे भी गंभीरता से नहीं लिया।  
समय की जरुरत  समझते हुए सरकार ने 15 जिलों के कुछ जॉन को सील करने की घोषणा की और हैरानी तब हुई जब प्रशासन के लोगों ने घर-घर जाकर लोगों की ट्रेवल हिस्ट्री चेक की और संदिघ्ध लोगों को मॉनिटर कर रही है। सोचिये हम कितने ज्यादा गैर जिम्मेदाराना रवैया रखते हैं जो हमारी सुरक्षा  के लिए सरकार को इस स्तर पर आकर काम करना पड़ रहा है।  हम अपने आपसे ही आगे आकर यह काम क्यों नहीं कर सकते थे। 
हजारों की संख्या में जो मैन पावर इस काम के लिए लगाईं जा रही है उसका इस्तेमाल कही और भी किया जा सकता था। यहाँ मैं एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि इस तरह की लापरवाही उस तबके के लोग सबसे ज्यादा करते हैं जिन्हे हमारे समाज में बहुत ही सभ्य और पढ़ा लिखा माना जाता है और समाज में उन्हें काफी सम्मानजनक दृष्टि से देखा जाता है। जो जागरूकता की दृष्टि से सबसे आगे आते हैं लेकिन जहाँ जागरूकता की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं वहां ऐसे लोगों की जागरूकता कहाँ चली जाती हैं यह अपने आप में सोचने वाली बात है। 
अगर दूसरा पहलू देखा जाय तो कोरोना संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति या मात्र संदिघ्ध व्यक्ति को भी समाज में एक आतंकवादी की नजर से देखा जा रहा है। यक़ीनन बीमारी गंभीर है लेकिन इसका इलाज भी है. किसी पीड़ित को समाज द्वारा इतना मानसिक दवाब उसके इलाज से लड़ने की शक्ति को भी प्रभावित करता है। सोचिये जो डॉक्टर और नर्स कोरोना पीड़ित का इलाज करते है लोग उन्हीं लोगों से इतनी नफरत करते हैं कि कई डॉक्टर और नर्सो को घर खाली करने की धमकी भी दी गई। तो कहीं न कहीं सामाजिक घृणा से बचने के लिए ही लोग अपने आपको ऐसी स्थिति में छिपा कर रखे हुए हैं। 
कित्नु आपको बिना यह सब सोचे केवल अपने स्वास्थ और अपने परिवार के बारे में सोचना चाहिए।