लॉकडाउन का असर महज मुख्य चौराहों तक,गलियां गुलजार
 

 

रिपोर्ट-आनंद सिंह 'मनभावन'

 

गोरखपुर। शासन-प्रशासन के कड़े दिशानिर्देशों और कड़ाई के बावजूद इसका असर महज मुख्यमार्गों और चौराहों तक ही सीमित है। प्रशासन द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाए जाने के बावजूद,प्रचार-प्रसार के सभी उपाय अपनाने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए शहर की गलियां सुबह शाम गुलजार हो रही हैं।हालात ये है कि ऐसे लोग न सिर्फ अपने और अपने परिवार को संकट में डाल रहे है,बल्कि पूरे मोहल्ले को खतरे के मुहाने पर खड़ा करने पर आमादा हैं।सबसे मुख्य बात ये की अपनी अनुशासनहीनता के लिए जाने जाने वाली युवा पीढ़ी से भी आगे वरिष्ठ नागरिकजन निकल रहे हैं।एकदम सुबह और शाम होते ही इन गलियों में मेले जैसा माहौल बन जा रहा है।इससे एक तरफ सामाजिक दूरी रखने के कड़े अनुशासन की धज्जियाँ उड़ रही हैं वहीं दूसरी तरफ दैनिक आवश्यकताओं के लिए गली से गुजरने वाली महिलाओं बच्चियों के साथ अभद्रता की घटनाएं भी खूब हो रही हैं।सुरक्षा व्यवस्था की लापरवाही का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चौराहे पर मुस्तैद रहने वाली पुलिस हफ्तों तक अपनी बगल की ही गलियों का गश्त नहीं लगा पा रही।यदि इनके द्वारा सुबह शाम की गश्त लगाई जाती तो इस भीड़ और छेड़खानी की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया जाना संभव हो पाता। कहीं कही पर गलियों में शाम को 7 बजे से बाद शराबियों की महफ़िल भी जम जा रही है जिससे मोहल्ले में शांति व्यवस्था का खतरा उत्पन्न होने की प्रबल संभावना हैं।गलियों में अराजकता का माहौल इस कदर व्याप्त हैं कि इन अराजक तत्वों को समझाने बुझाने पर ये मरने-मारने पर आमादा हो जाते है।स्थितियां ऐसी ही रहीं तो पुलिस के गश्त का गलियों में उदासीनता और लापरवाहियों का खामियाजा गंभीर परिस्थितियों से चुकाना पड़ सकता है।