कोरोना से महायुद्ध में व्यवधान पहुंचाने वाले राष्ट्रद्रोही
या
कोरोना से महायुद्ध़ में अपना योगदान दीजिए
या
कोरोना - महायुद्ध भावनात्मक एकता, संयम और सामाजिक दूरी बनाकर जीतिए।
आर0 के0 सिन्हा
आज कोरोना से जारी महायुद्ध में देशभर में चल रहे लॉकडाउन का 9वां दिन था। अभी तो हम आधी दूरी भी नहीं तय कर पाये हैं। लेकिन कई स्थानों से ऐसी खबरें आ रही है कि जहां-तहां बिना वजह भीड़ भी इकट्ठा हो जा रही है। छतों पर भी नमाज पढ़ने के लिए लोग इकट्ठे हो जाते हैं। तो कहीं मेडिकल टीम को पत्थर मार कर भगा दिया जाता है। यह भी खबर सुनने में आई है कि तब्लीगी जमात के लोग आइसोलेशान वार्डो में बिना पैजामा पहने घूम रहे हैं और मेडिकल कर्मचारियों से बदतमीजी भी कर रहे हैं। सभी घटनाएं दुखद भी है और क्षोभ कारक भी।
यह समझना चाहिए कि जिस कोरोना की महामारी की लड़ाई से इटली, ईरान, अमेरिका स्पेन तक हार चुके हैं, उससे हम महायुद्ध मजबूती से जारी रखे हुए हैं। यदि देश की जनसंख्या और प्रति किलोमीटर जनसंख्या के धनत्व को समझें तो भारत का जो कोरोना युद्ध है वह अबतक विश्व में सबसे बेहतरीन रहा है। यह मात्र इसी के कारण हुआ है कि आज हमारे सौभाग्य से देश में नरेन्द्र मोदी जैसा समझदार और देश की 130 करोड की जनता की भावनाओं को समझने वाले प्रधानमंत्री हैं। जब नरेन्द मोदी जी सोशल डिस्टेनसीं की बात करते हैं तो अपने निजी हित के लिए थोड़े कह रहे हैं। यह तो कोरोना के वायरस के संक्रमण की चेन को ब्रेक करने के लिए कह रहे हैं। जिससे कि वायरस फैलने से रूके और फिर धीरे-धीरे देश में आया हुआ वायरस समाप्त हो जाये। लेकिन, कुछ लोग ऐसे हैं जो प्रधामनंत्री की बातों को न मानकर अपनी ही मनमानी चलाने पर आमादा हैं जो सर्वथा गलत है। आपातकालीन स्थिति में ऐसा करना एक राष्ट्रविरोधी हरकत है जिससे सख्ती से निपटना ही होगा ।
आज प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पांच अप्रैल की रात्रि 9 बजे 9 मिनट के लिए दीपक, मोमवत्ती या मोबाईल टार्च की रोशनी जलाने का आह्वान किया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को सख्ती से पालन करने को कहा। इससे कोई कोरोना भाग नहीं जायेगा। लेकिन, इससे देश एकजुट है, यह सिद्ध जरूर होगा । फ्लैटों में बन्द रहनेवाले को भी यह लगेगा कि वे अकेले नहीं है। उनके साथ करोड़ो बाकी लोग भी है जो उन्हीं की तरह कष्ट झेल रहे हैं। लेकिन, इस महायुद्ध के सेनापति और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वे खड़े हैं। किसी भी युद्ध में सेना के सेनापति के साथ खड़ा होना परम आवश्यक होता है। आज इस महामारी के खिलाफ जो युद्ध देशभर में लड़ी जा रही है, उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महायुद्ध के एक मात्र सेनापति हैं। बाकी सारे 130 करोड़ देशवासी उनके सैनिक हैं। अब उसमें से दो-चार सैनिक यदि यह कहें कि ऐसे नहीं होना चाहिए तो वे अपने सेनापति के आज्ञा का उल्लंघन कर रहे हैं, और दंड के भागी बन रहे हैं। प्रधानमंत्री की बातों पर राजनीति होना, अनर्गल बयानबाजी करना अत्यंत ही दुखद है। आप राष्ट्रीय आपदा में भी एकजुट नहीं रह सकते, यह तो शर्मनाक बात है।
सोनिया जी, राहुल गांधी और उनके छुटभैये नेता यह कह रहे हैं कि यह तो पहले हो जाना चाहिए था। लॉकडाउन में देरी हो गयी। अरे भाई, आप जरा पूछिये कि माननीया सोनिया जी अपने मातृभूमि की तरफ भी देखें। माननीय राहुल गांधी जी अपने ननिहाल की ओर भी देखें। इटली ने क्या किया। इटली की तो मेडिकल सर्विसेज विष्व की दूसरी सबसे अच्छी मेडिकल सर्विसेज है। उसने क्या किया, क्यों इतने लोग मरे। वहां क्यों नहीं लॉकडाउन हुआ। अमेरिका, जिसकी मेडिकल सर्विसेज सबसे अच्छी है, वहां क्या हुआ, स्पेन जो सबसे सुन्दर देश है, वहां क्या हुआ, बातें करना तो बहुत आसान है। लेकिन, उसको अमल में लाना बहुत ही दिक्कत का काम होता है। पहले लॉकडाउन कर देते तो यही लोग जल्दी लॉकडाउन की आलोचना करते नजर आते । लोग कहते कि पहले ही इमरजेंसी लगाई जा रही है। इसकी जरूरत नहीं है। अरे भाई, जब इटली, स्पेन और अमेरिका नहीं कर रहे हैं तो यहां चीन जैसी तानाशाही हो गई। आलोचना करने वालां को तो आलोचना करने का कोई बहाना होना चाहिए।
लेकिन, यह गलत बात है। क्योंकि देश में युद्ध की स्थिति है और युद्ध की स्थिति में कोई भी युद्ध के खिलाफ बोलने वाला व्यक्ति राष्ट्रद्रोही होता है और उसके साथ राष्ट्रद्रोही जैसा ही व्यवहार होना चाहिए। यदि ये लोग चेतेंगे नहीं तो, तो जनता इन्हें ऐसा दरकिनार करेगी कि इन्हें ढूंढते रह जाओगे।
अब थोड़ी बात कर लेते है तबलीगी जमात पर भी। यह सिरफिरी जमात धार्मिक प्रचार के नाम पर सर्वथा अधर्म का काम कर कर रही है । योजनापूर्वक देश के कोने-कोने में कोरोना फैला रहे हैं और सरकारी आदेशों की अवहेलना के लिये लोगों को प्रेरित कर राष्ट्रद्रोह की भावना को फैला रहे हैं। यह इतने अभद्र लोग हैं कि जो आइसोलेशन वार्ड में भी बिना पैंट-पैजामे पहने हुये घूमते रहते हैं। जहां तहां थूकते रहते हैं। बीड़ी-सिगरेट पीते रहते हैं और महिला स्वास्थकर्मियों से भी बदतमीजी से पेष आते हैं। इन्हें तो सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए। इनकी जगह आइसोलेशन वार्ड नहीं है। इसकी जगह जेल है और जेल में भी बंद कमरे के सेल हैं जहां एक कैदी को एक कमरे में ही रखा जाता है। क्योंकि, इसके धर्मगुरू मौलाना साद ने इन्हें यही शिक्षा दी है कि सभी मस्जिदों में इकट्ठे होकर रहो, नहीं तो इस्लाम खतरे में पड़ जायेगा। जबकि भारत में ऐसी कोई बात ही नहीं है। इस देश में तो लगभग 20 करोड़ मुसलमान रहते हैं और तबलीगी जमात की संख्या तो कुछ लाखों में है। लेकिन, फिर भी ये अपने को 20 करोड़ मुसलमानों का प्रतिनिधि बताते हैं, जो सर्वथा गलत और झूठा दावा है। इनके नेता मौलाना साद तो यू टयूव के अपने भाशण में कहते नजर आते हैं कि यदि कोरोना से मरना ही है तो इसके लिए मस्जिद ही सबसे अच्छी जगह है। यदि डाक्टर को दिखाना है तो सिर्फ मुसलमान डाक्टर को ही दिखाओ। ऐसे कट्टर तबलीगियों से कट्टरता से ही निपटना चाहिए। मुझे तो आश्चर्य यह होता है कि इस जमात को पूर्ववर्ती सरकारों ने सबकुछ जानते हुए भी पनपने क्यों दिया, इनसे तो पहले से ही सख्ती से निपटना चाहिए था।
ऐसा नहीं है कि इन्होंने भारत में ही यह समस्या उत्पन्न की है। मलेशिया और पाकिस्तान जैसे इस्लामिक देश भी इनसे त्रस्त हैं। फरवरी के अंत में इन्होंने मलेशिया में एक बड़ा समारोह किया और उसी सम्मेलन से निकलकर बहुत सारे तबलीगी नई दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में भी पहुंचे। मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान आया है कि मलेशिया में कोरोना फैलाने में तबलीगियों का बहुत बड़ा हाथ है। पाकिस्तान के लाहौर में भी इन्होंने सम्मेलन किया और पाकिस्तान भी अब यह कह रहा है कि पाकिस्तान में कोरोना फैलाने में तबलीगी जमात का बहुत बड़ा हाथ है। तो क्यों नहीं ऐसी जमात को समूल नश्ट करने पर सरकार विचार कर रही है। ऐसे राष्ट्रद्रोही हरकत करने वालों के लिए तो सख्त से सख्त और त्वरित सजा का प्रावधान होना चाहिए। बिलकुल भी देरी नहीं होनी चाहिए। स्पेशल कोर्ट बनाकर इनको सख्त से सख्त सजा दी जाये। यह मरकज जो तबलीगियों के प्रशिक्षण देता है, इसको पूर्ण रूप से सदा के लिए प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
आज जिन नेताओं ने मोदी जी के राष्ट्र के नाम संबोधन के ऊपर राजनीति करनी शुरू की है उनसे मैं पूछना चाहता हूँ कि 28 मार्च से लेकर अभी तक तबलीगी जमात के हजारों लोगों ने जिस तरह से कोरोना वायस को देशभर में फैलाया, उस पर उनका क्या विचार है। उस पर उनकी जुबान क्यों बंद है। इन तबलीगी जमात को पूर्ववर्ती सरकारों ने बढ़ने क्यों दिया। पनपने क्यों दिया। संरक्षण क्यों दिया। इस पर भी तो वे बोले । देश आज एक संकट से युद्ध कर रहा है और इस युद्ध में एक ही सेनापति हैं, वह हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। बाकी सभी 130 करोड़ जनता इस महायुद्ध में कोरोना को हराने के महायुद्ध में उनके समर्पित सिपाही हैं और उनको उसी तरह का व्यवहार भी करना चाहिए। अगर इससे हटकर व्यवहार करते हैं तो उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार होना चाहिए, जैसा कि किसी भी सेना में सेनापति के विरूद्ध कोई आचरण करने वालों का किया जाता है। यह बहुत गंभीर स्थिति और इस गंभीर स्थिति को गंभीरता से लेने की आवष्यकता है। नहीं तो इस देष में कैसा संकट आयेगा और कैसे यह देश बिखरेगा कितने साल पीछे चला जायेगा, यह कल्पना भी ये छुटभैये नेतागण नहीं कर पा रहे हैं।
जब चीन, इटली, स्पेन, ईरान और अमेरिका इस युद्ध से लगभग हार चुके हैं और हमारे अपने लोग ही जीतते युद्ध को हराने में लगे हुए हैं, इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है।
28 तारीख के पूर्व तक हमारी स्थिति बिलकुल ठीक थी। लेकिन, जब से तबलीगी मरकज ने अंडमान से लेकर मणिपुर और अरूणाचल प्रदेश से लेकर बंगाल तक अपने जमातियों को योजनापूर्वक भेजकर कोरोना फैलाया, इसके पीछे क्या षड्यंत्र है इसकी भी गहन जांच होनी चाहिए और इन राष्ट्रद्रोहियों के ऊपर सख्त से सख्त कारवाई होनी चाहिए ताकि ऐसा सबक इन्हें सिखाया जाये कि फिर इनकी आगे आने वाली पीढ़ियों में भी इस तरह की राश्ट्र विरोधी गुस्ताखी करने के पहले, उनके शरीर में सिहरन पैदा हो और उनकी रूह कांप उठे।
(लेखक वरिष्ठ संपादक एवं स्तंभकार हैं)