अजर-अमर हैं पितृभक्त परशुराम- कुलदीप पाण्डेय

गोकुलधाम मे विश्ववन्द्य महाबाहु परशुराम का मना अवतरण दिवस 




गोरखपुर।



वैशाख शुक्ल तृतीया को ब्राह्मणों के कुलगुरु महाबाहु भगवान परशुराम जी का अवतरण हुआ था, इस हर्षोल्लास में भारतीय युवा जनकल्याण समिति एवं भारतीय विद्वत् महासंघ के संयुक्त तत्वाधान में प्रधान कार्यालय राजेंद्र नगर पश्चिमी गोकुलधाम में लाॅक डाउन व सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए विद्वत् व युवाजनों ने मुख पर मास्क लगाकर दो-दो मीटर की दूरी बनाकर परशुराम जी के अवतरण दिवस को धूमधाम से मनाये,भारतीय विद्वत महासंघ के महामंत्री व भारतीय युवा जनकल्याण समिति के संस्थापक संरक्षक पं.बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य तथा भारतीय युवा जनकल्याण समिति के संचालक व प्रदेश अध्यक्ष युवा समाजसेवी कुलदीप पाण्डेय के नेतृत्व में तथा संचालन सचिव आनन्द पाण्डेय द्वारा परशुराम जयंती समारोह का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम के दौरान सर्वप्रथम पं. बृजेश पाण्डेय व कुलदीप पाण्डेय ने भगवान परशुराम जी की प्रतिमा पर तिलक चंदन लगाकर पुष्प अर्पण करते हुए धूप दीप प्रज्वलित किए तथा परशुराम जी से विश्व व राष्ट्र की रक्षार्थ हेतु कामना किये साथ ही उपस्थित जनों ने विश्व में कोरोना महामारी को शिघ्र समाप्त करने और संक्रमित लोगों की स्वास्थ्य होने की कामना किये,
 इस दौरान पं. बृजेश पाण्डेय व कुलदीप पाण्डेय ने परशुराम जी की कृतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पितृ भक्त परशुराम जी भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टी यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को अवतरित हुए थे,
वे भगवान विष्णु जी के आवेशावतार छठे अवतार हैं,पितामह भृगु द्वारा नामकरण संस्कार के अन्नतर नाम राम तथा शिव जी द्वारा प्रदत परशु (फरसा) धारण किए रहने के कारण पशुराम कहलाये,परशुराम जी भारत के ब्राह्मण वंश मात्र के प्रतिनिधि नहीं रहे अपितु सनातन एवं शाश्वत मूल्यों की रक्षा के लिए सर्व समाज द्वारा समादरणीय एवं पूज्यनीय के साथ सदैव ही निर्णायक और नियामक शक्ति रहे.भगवान परशुराम जी चिरजीवी हैं।
>अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनुमांश्च विभीषण: 
कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविन:।। 
अश्वत्थामा, हनुमान और विभीषण की भांति परशुराम भी चिरजीवी हैं। भगवान परशुराम तभी तो राम के काल में भी थे और कृष्ण के काल में भी उनके होने की चर्चा होती है। कल्प के अंत तक वे धरती पर ही तपस्यारत रहेंग,वे योग, वेद और नीति में पारंगत थे। ब्रह्मास्त्र समेत विभिन्न दिव्यास्त्रों के संचालन में भी वे पारंगत थे। उन्होंने महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की। 
इस दौरान मुख्य रूप से पं.बृजेश पाण्डेय, कुलदीप पाण्डेय,आनन्द पाण्डेय, रमेश पाण्डेय,राजेश पाण्डेय,अंगद तिवारी, त्रिलोकी नाथ चौबे,सदानन्द पाण्डेय, दिव्यांशु तिवारी, श्यामशरण मिश्र,एवं श्रेयांश तिवारी आदि ने भगवान परशुराम जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए एवं उनसे जन कल्याणार्थ हेतु प्रार्थना किये!!