विनय कुमार मिश्र
गोरखपुर । पर्वत दिवस पर एक खास मुलाकात में डा. रुप कुमार बनर्जी ने बताया कि इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है सभी को पर्वतीय क्षेत्र के सतत विकास के महत्व पर प्रकाश डालना और पर्वतीय क्षेत्र के प्रति दायित्वों के लिए जागरूक करना। डा बनर्जी ने कहा कि पर्यावरण संवर्धन के कार्य सभी को करने चाहिए खास तौर पर हिमालय जैसी परिवर्तनशील पर्वतश्रृंखला पर पर्यावरण संवर्धन कार्य ज्यादा आवश्यक हैं। हिमालय एक अपेक्षाकृत नया विकसित होने वाला पहाड़ है। इस पर्वत श्रृंखला में भूमिगत परिवर्तनों की वजह से भूगोल बदलता रहता है। पर्वत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि पर्वत प्रकृति की सबसे सुंदर संरचनाओं में से एक हैं।राजसी ठाठ, राजाओं की तरह ,आकाश के खिलाफ खड़े हैं और ऐसा महसूस कराते हैं मानो वे पूरे देश को अपनी छाया से ढक सकते हैं । वे मनोरंजन, संसाधन और कृषि के स्रोत हैं, उत्पादन के लिए भी पर्वतों की ढलानें पर्याप्त स्थान प्रदान करती हैं।- वाटर ( जल ) साइकिल में पर्वत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, पहाड़ों में जमी हुई बर्फ, वसंत और गर्मियों के मौसम में पिघल जाती है और बस्तियों, कृषि और उद्योगों के लिए आवश्यक पानी उपलब्ध कराती है यही नहीं अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में, लगभग 90% नदी पहाड़ों से ही तो आती हैं।