विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में यहां का एक भी नही होना चिंतनीय: कुलाधिपति




 

 

 

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का 38 वां दीक्षांत समारोह संपन्न

 

मेडल में छात्रों के पिछड़ने पर शोध कराए विश्वविद्यालय

 

अच्छे शिक्षक प्रभावी शिक्षक ही शिक्षा होगी बेहतर: प्रो धीरेंद्र

 

 

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का 38वा दीक्षांत समारोह दीक्षा भवन में आयोजित किया गया जिसमें 54 छात्रों को गोल्ड मेडल दिया गया इसमें 51 विश्वविद्यालय गोल्ड मेडल और पचासी स्मृति स्वर्ण पदक दिया गया कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर धीरेंद्र पाल सिंह थे अध्यक्षता कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल थी।

 अध्यक्षता कर रहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों  में यहां का एक भी विवि नहीं होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्‍य की बात है कि हमारा विश्‍वविद्यालय विश्‍व के शीर्ष विश्‍वविद्यालयों में स्‍थान नहीं बना पा रहा है, इसके लिए विश्‍वविद्यालयों और छात्रों को नए शोध को बढ़ावा देना होगा।

 उन्होंने कहा कि जहां मौलिक खोज होता है वही दुनिया को राह दिखाते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे विश्वविद्यालय इस राह पर चलें। राज्य के सभी विश्वविद्यालय सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति वाले अनुसंधान करें। 

उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था जमीन पर नही बल्कि बेलों की तरह पेड़ों पर लटक रही है। सबकी जवाबदेही एक निश्चित समय पर तय होनी चाहिए। परिसर में अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है लेकिन गुणवत्‍ता में पीछे हैं। जिस विश्वविद्यालय में ज्यादा रिसर्च होते हैं वो आगे होता है। जो देश ऊर्जा के परंपरागत स्रोत छोड़, नए स्रोत खोजेंगे वो नई महाशक्ति होंगे। हमने दुनिया का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला में स्थापित किया था।

 आनंदीबेन पटेल ने अपने भाषण में दहेज प्रथा पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि मेधावी छात्र यहां गोल्ड पा रहे हैं। इसलिए अब शादी में गोल्ड मत मांगना। अपनी मेहनत पर जो यहां हासिल कर रहे हो उससे आगे बढ़ों, शादी में दहेज के रूप में गोल्ड, रुपया या कोई अन्य सामान मत मांगो। यही सबसे बड़ी दीक्षा होगी।

 

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत में लड़कियों को अधिक गोल्ड मिलने पर कहा कि यहां मेडल पाने वालों में अधिकतर लड़कियां हैं। यह हाल प्रत्येक विश्वविद्यालयों का है। यह असंतुलन नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज 80% विद्यालयों में छात्राओं को अधिक गोल्ड मेडल मिल रहे हैं जबकि लड़के पिछड़ते जा रहे हैं ऐसे में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति से यह कहना चाहूंगी कि वह इस विषय पर स्पेशल शोध कराएं और पता करें कि ऐसा क्यों हो रहा है और उसका क्या निदान हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं देश की आगे बढ़ रही हैं, यह बेहद सुखद बात है। पढ़ी लिखी बेटियां तो आगे बढ़ ही रहीं हैं अनपढ़ महिलाएं भी तरक्की की राह पर हैं।

उन्होंने कहा कि महिलाएं अगर देश के विकास में नहीं जुड़ती है तो उस देश का विकास नहीं हो सकता है। अनपढ़ महिलाएं स्वावलंबी बनकर 10 से 15 हजार रुपये महीना कमा रही हैं। ऐसी महिलाओं के विचारों में जो परिवर्तन आया है उससे मैं खुश हूं। राज्यपाल ने बताया कि कि वे कहती है कि वे नहीं पढ़ पाए, लेकिन बेटे-बेटियों को पढ़ा रही हैं ताकि वह उनकी तरह अनपढ़ न रह जाएं।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कुप्रथाओं, पर्यावरण, ग्रामीण विकास पर खूब चर्चा की। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्लास्टिक का प्रयोग हम सबको पूरी तरह बंद करना चाहिए। कैंपस में पाबंदी लगे साथ ही हम सबको अपने अपने घरों पर भी प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना चाहिए। इसके लिए हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि सबको जागरूक करें।

साथ ही राज्यपाल ने सभी शिक्षकों को एक एक गांव गोद लेने का आह्वान किया। कहा कि चार-पांच महीना तक हर शिक्षक अपने गोद लिए गांव में काम करे।

 

मुख्य अतिथि प्रोफेसर धीरेन्द्र पाल सिंह में कहा कि विश्वविद्यालयों का माहौल सहज वह सुलभ हो इसके लिए यूजीसी कार्यक्रम चला रही है शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन की जरूरत है उन्होंने कहा कि अनुशासन से हमें विद्या की प्राप्ति होती है आज देश में 51000 महाविद्यालय हैं और 993 विश्वविद्यालय हैं उन्होंने कहा कि यूजीसी का प्रयास है कि स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम की समीक्षा करके उसमें बदलाव किया जाए और उसमें सामाजिक आम लोगों से जुड़ी समस्याएं भारतीय संस्कृति को भी शामिल किया जाए ताकि लोग उससे जुड़ कर अपने इतिहास को जाने उन्होंने कहा कि जिन विश्वविद्यालय में नए शिक्षकों की भर्ती हुई है उनके लिए भी एक माह का विशेष प्रशिक्षण कार्य कराया जाएगा उन्होंने कहा कि आम जनजीवन और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए यूजीसी ने स्ट्राइड नाम की एक नई शोध योजना शुरू की है नैक मूल्यांकन और प्रत्यायन हेतु परामर्श योजना प्रारंभ की गई है श्री सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए जो नए नए परिसर में प्रवेश ले करके आते हैं वह कैसे सहज और सुरक्षित अपने को महसूस करें इसके लिए दीक्षारम्भ कार्यक्रम की शुरुआत आयोग कर रहा है उन्होंने कहा कि प्रभावी शिक्षण हेतु सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना जरूरी है विद्यार्थियों हेतु जीवन कौशल कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है जिसमें विद्यार्थियों को जीवन और उससे जुड़ी कठिनाइयों और विशेषताओं की पढ़ाई कराई जाएगी और इसका पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा देश की आत्मा गांव में बसती है ऐसे में सोशल कनेक्शन के तहत गांव को गोद लेकर वहां जागरूकता लाई जाए अच्छे शिक्षक प्रभावी शिक्षक ही शिक्षा को बेहतर बना सकते हैं उन्होंने बताया कि आयोग एक परामर्श संस्था का गठन कर रही है जिसमें ऐसे पांच कालेजों को नैक कराने के लिए परामर्श देना है उसके लिए उन्हें आयोग द्वारा आर्थिक मदद दी जाएगी उन्होंने कहा कि अब विश्वविद्यालय परिसर को इको फ्रेंडली बनाने की जरूरत है उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर की स्वच्छता शोध कार्यों के उपाय में उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए बधाई दी उन्होंने कहा कि देश की उच्चतर शिक्षा व्यवस्था विश्व में तीसरे स्थान पर है लेकिन गुणवत्ता में बहुत ही पीछे हैं यह हमारे समर्पण से ही बदलेगा समाज और राष्ट्रवाद के लिए समर्पित शिक्षक कर्मचारियों की जरूरत है। कार्यक्रम के समापन के अवसर पर कुलपति प्रोफ़ेसर बीके सिंह ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

 इस अवसर पर कार्यक्रम में उपेंद्र मंत्री व राज्यसभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ला माता सीता नंदेश्वर विधायक नाटक महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती चौधरी पूर्व महापौर डॉ सत्या पांडे,  विश्वविद्यालय के को सचिव ओमप्रकाश परीक्षा नियंत्रक डॉ अमरेंद्र सिंह वित्त अधिकारी बिरेंद्र चौबे प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि प्रो अवधेश तिवारी, प्रो मुकुंद शरण तिवारी, प्रो अनिल राय, प्रो कमलेश गुप्त, प्रो चंद्र भूषण गुप्त, प्रो प्रदीप यादव, प्रो अनिल यादव , प्रो अजय शुक्ल, प्रो गोपाल प्रसाद, डॉ केशव सिंह, प्रो, अजय सिंह, प्रो विनोद कुमार सिंह, प्रो मानवेन्द्र सिंह, प्रो दिव्या रानी सिंह, प्रो विनीता पाठक, प्रो सुधा यादव समेत अनेक शिक्षक व कर्मचारी मौजूद थे।