खनन व्यवसायियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा

 



सोनभद्र।पत्थर उद्योग बचाओ के तत्वाधान में बन्दी की मार झेल रहे क्रेशर व खनन व्यवसायियों ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट मे जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंप  बंद पड़े खनन/क्रेशर व्यवसायियों के विस्थापन,व्यवसायियों एवं श्रमिको के पलायन,सरकारी राजस्व की भारी क्षति होने,बेरोजगारी/महंगाई एवं वन विभाग द्वारा न्यायालयो के आदेशों की अवहेलना करने आदि के सम्बंध में 11 बिंदुओं के साथ पत्र देकर संज्ञान लेते हुए जल्द से जल्द निजात दिलाये जाने की मांग की गई।पत्र में बताया गया कि बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में लगभग 50 वर्षों से खनन क्रेशर उद्योग संचालित है परंतु वन विभाग द्वारा कुछ वर्षों से लगातार व्यवधान उत्पन्न करते हुए व्यवसाय को पूरी तरह बंद कराया जा रहा है शासन की उदासीनता के कारण उद्योग लगभग पूर्ण बंदी की ओर लगातार अग्रसर होता जा रहा है जबकि यहां छोटे-बड़े लगभग 400 क्रेशर प्लांट स्थापित हैं जिनकी अनुमानित लागत ₹1200 करोड़ है जो परोक्ष रूप से लाखों श्रमिकों एवं व्यवसायियों को रोजगार देता रहा है साथ ही सैकड़ों करोड़ रुपए का सरकारी राजस्व भी देता रहा है आज बंदी के कारण सरकारी राजस्व की भारी क्षति हो रही है।पत्थर खनन उद्योग जो करोड़ो का राजस्व कुछ वर्षो पहले तक देता था अब शासन प्रशासन की उदासीनता एवं असमान तथा गलत नीति के कारण मरणाशन कि स्थिति में पहुँच गया है। सैकड़ो क्रेसर बंद होने से लाखो मजूदर व व्यवसायी जनपद से पलायन  कर रहे हैं।नई नीति से जो ई-टेण्डर हुए उनमे से किसी का भी डीड नही बना और न ही खनन शुरू हुआ। जिससे गिट्टी का दाम आसमान छु रहा है जो  खनन हो रहा है वो पिछली सरकार में पट्टे हुए थे ,लेकिन वो भी वैध अवैध के चक्रविहु में फँसे है और रायल्टी दर भी पुरानी है तो ई-टडेर कैसे सफल होगा। पुराने खनन पट्टे से राजस्व कम प्राप्त हो रहा है तथा महँगे दाम पर गिट्टी उपभोगताओ को प्राप्त हो रहा है। खनन व्यवसाइयों का कहना है कि अगर ज्यादा से ज्यादा खनन पट्टा रायल्टी दर को तीन गुना कर के क्रेसर व्यवसायियों को ही प्राथमिकता पर दिया जाय तो राजस्व भी ज्यादा आयेगा व उपभोगताओ को सस्ती गिट्टी भी मिलेगी। 30 जुलाई 2018 को माननीय मुख्यमंत्री द्वारा समीक्षा बैठक के दौरान छोटे-छोटे खंडों में पट्टों का आवंटन किए जाने का निर्देश दिया गया था लेकिन अब तक कोई अमल नहीं हुआ।जबकि खनन पट्टों के लिए क्रेशर प्लांट व पूर्व के पट्टाधारकों को प्राथमिकता के आधार पर ही आवंटन सुनिश्चित किया जाना है। वन विभाग द्वारा 15 क्रेशर प्लांट व 10 खनन पट्टा जो लगभग 25 से 30 वर्षों से माननीय बंदोबस्त अधिकारी, अपर जिला जज व अन्य माननीय न्यायालय के आदेश से कार्यरत थे,न्यायाधीशों के फैसले को दरकिनार करते हुए क्रशर प्लांटों और खनन पट्टों को बंद कर दिया गया है। जबकि क्रेशर प्लांट और खनन पट्टों को सभी विभागों से प्रमाण पत्र भी प्राप्त है ।यहां तक कि माननीय उच्च न्यायालय ,माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भी वन विभाग द्वारा नहीं माना जा रहा है। उपरोक्त बिंदुओं पर जनहित को संज्ञान में लेते हुए न्याय संगत निर्णय करने हेतु जिलाधिकारी सोनभद्र को मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र सौंपकर व्यवसाय को पुनर्जीवित करने की मांग खनन व्यवसायियों ने की। साथ ही प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश,प्रमुख सचिव भूतत्व एवं खनिकर्म उत्तर प्रदेश सरकार,औद्योगिक विकास आयुक्त उत्तर प्रदेश, निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय खनिज भवन लखनऊ, मंडलायुक्त मिर्जापुर, जिलाधिकारी सोनभद्र आदि को भी अवलोकनार्थ व आवश्यक कार्रवाई हेतु पत्र भेजा गया है।
इस दौरान खनन व्यापारी महेंद्र पांडेय,नंदलाल पांडेय,संतोष सिंह आदि ने बताया कि वर्तमान समय में वर्षभर के अंदर ही वन विभाग द्वारा भूमि के स्वामित्व के परिवर्तन के चलते 15 क्रेशर प्लांट व दर्जन भर खनन पट्टो को बन्द करा दिया गया है। वही ज्यादातर मामलों को लेकर उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है।कहा की पूर्व में क्रेशर क्षेत्रो के कई स्थानों को कैमूर सर्वे एजेंसी के सर्वे के बाद तत्कालीन एडीजे तथा एआरओ न्यायालय द्वारा धारा 4 से पृथक किया गया था। उक्त आदेश के पश्चात ही वन विभाग द्वारा लगभग तीन दशक पहले से खनन के लिए एनओसी जारी की गई थी। एनओसी के आधार पर ही तीन दशक से खनन कार्य हो रहा है। बावजूद इसके तीन दशक बाद पुन: वन विभाग द्वारा उक्त भूमि को वन क्षेत्र बताया जा रहा है। कहा की 30 वर्षों से वन विभाग द्वारा खनन कराए जाने के बाद खनन कार्य को प्रभावित करना पूरी तरह से गलत है।इस दौरान रामकृति सिंह,राजेन्द्र गर्ग,जगमन्द्र अग्रवाल,सीताराम अग्रवाल,सूर्यनारायण अग्रहरि,शिवशंकर अग्रहरि,अजय अग्रहरि, उमेश अग्रहरि, नवनीत अग्रवाल,राहुल गोयल,उमाशंकर अग्रहरि,अनिल जिंदल, राजू केशरी,अरविंद अग्रहरि,रंजीत सिंह,राजू सिंह,सुशील सिंह आदि दर्जनों खनन व क्रेशर व्यवसायी शामिल रहे